शीत-घात (Cold Waves) का बढ़ता खतरा: ठंड से बचाव के लिए बरतें ये जरूरी सावधानियां

 उज्जैन, 15 दिसम्बर।



हर वर्ष दिसंबर–जनवरी में शीतलहर (Cold Wave) का प्रभाव देखने को मिलता है, जबकि कई बार यह नवंबर से फरवरी तक भी बनी रहती है। मौसम विज्ञान संगठनों के अनुसार, वैश्विक तापमान में हो रहे असंतुलन के कारण मौसम की तीव्रता बढ़ रही है, जिसका सीधा असर पर्यावरण, स्वास्थ्य, कृषि, पशुधन, आजीविका और सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों पर पड़ रहा है।

शीत ऋतु में शीत-घात (शीतलहर) के कारण अनेक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि यदि समय रहते सावधानियां बरती जाएं, तो इस प्राकृतिक आपदा के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।

    

                                                       


❄️ क्या है शीतलहर (Cold Wave)?

सर्दी के मौसम में जब ठंडी हवाएं तेज़ चलने लगती हैं और तापमान में अचानक गिरावट दर्ज की जाती है, तब इस स्थिति को शीतलहर कहा जाता है।
आसान शब्दों में, जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से घटकर 4–5 डिग्री या उससे नीचे चला जाए, तो उसे शीतलहर माना जाता है।


🩺 शीतलहर से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं

शीत-घात के दौरान निम्न समस्याओं की आशंका बढ़ जाती है—

  • सर्दी, खांसी, जुकाम

  • तेज ठंड लगना व पलू चलना

  •                                

  • अल्प तापवस्था (Hypothermia) के लक्षण:

    • शरीर का तापमान सामान्य से कम होना

    • न रुकने वाली कपकपी

    • याददाश्त कमजोर होना

    • बेहोशी या मूर्छा

    • जबान का लड़खड़ाना

👉 ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर उपचार लें।


📻 मौसम पूर्वानुमान पर रखें नजर

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जनसामान्य से अपील है कि शीतलहर के दौरान रेडियो, टीवी, समाचार पत्र एवं अन्य मीडिया माध्यमों से जारी स्थानीय मौसम पूर्वानुमानों का नियमित रूप से पालन करें।


✅ शीतलहर के समय क्या करें?

  • दस्ताने, टोपी, मफलर, स्वेटर व जूते जैसे पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें

  • चुस्त कपड़ों से बचें, क्योंकि ये रक्त संचार को कम करते हैं।

    • बाहर की ओर सूती कपड़े

    • अंदर की ओर ऊनी कपड़े पहनें।

  • नियमित रूप से गर्म पेय पदार्थ (चाय, सूप, दूध आदि) लें।

  • पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें।

  • विटामिन-सी युक्त फल व सब्जियां (संतरा, नींबू, अमरूद) का सेवन करें।

  • जितना संभव हो, घर के अंदर रहें, अत्यावश्यक होने पर ही बाहर निकलें।


👶 बुजुर्गों व बच्चों के लिए विशेष सावधानी

  • बुजुर्ग, नवजात शिशु और छोटे बच्चे शीतलहर से अधिक प्रभावित होते हैं।

  • उन्हें टोपी, मफलर, मौजे व स्वेटर अवश्य पहनाएं।

  • आवश्यकता अनुसार रूम हीटर का उपयोग करें, लेकिन

    • पर्याप्त हवा निकासी (Ventilation) का ध्यान रखें।

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 क्या न करें?

  • अत्यधिक ठंड से प्रभावित शरीर के हिस्सों पर मालिश न करें

  • लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से

    • त्वचा कठोर व सुन्न हो सकती है

    • हाथ-पैर की उंगलियों, नाक व कान पर लाल फफोले पड़ सकते हैं।


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