ग्राम पिपलियाराघो में निशुल्क आयुर्वेद चिकित्सा शिविर संपन्न

 112 ग्रामीणों ने आयुर्वेद के जरिए स्वास्थ्य लाभ लिया



उज्जैन | शनिवार, 06 दिसंबर 2025
उज्जैन जिले के ग्राम पिपलियाराघो में शनिवार को शासकीय आयुर्वेद औषधालय, करोहन की ओर से निशुल्क आयुर्वेद चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का उद्देश्य ग्रामीणों को आयुर्वेद पद्धति से स्वास्थ्य संरक्षण, रोगों की रोकथाम और मौसम के अनुसार जीवनशैली अपनाने के प्रति जागरूक करना था। बदलते मौसम में बढ़ती बीमारियों को देखते हुए ग्रामीणों में इस शिविर को लेकर खास उत्साह देखा गया।
सुबह से ही ग्रामीणजन स्वास्थ्य परीक्षण और परामर्श के लिए विद्यालय परिसर में पहुँचने लगे थे। चिकित्सकों की टीम ने धैर्यपूर्वक सभी रोगियों का परीक्षण किया और उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के अनुसार नि:शुल्क आयुर्वेदिक दवाइयाँ उपलब्ध कराईं।

शिविर में 112 रोगियों का परीक्षण, दवा वितरण

जिला आयुष अधिकारी डॉ. मनीषा पाठक ने जानकारी देते हुए बताया कि कुल 112 रोगियों का परीक्षण किया गया और उन्हें संबंधित आयुर्वेदिक उपचार उपलब्ध कराए गए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आयुर्वेद चिकित्सा शिविर अत्यंत प्रभावी साबित हो रहे हैं, क्योंकि यह लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा की ओर प्रेरित करते हैं और बिना दुष्प्रभाव वाले उपचार उपलब्ध कराते हैं।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण समुदाय में डायबिटीज, जोड़ों के दर्द, कफ–खांसी, त्वचा रोग, पाचन समस्याओं और मौसमजनित बीमारियों के मामले बड़ी संख्या में सामने आए, जिनकी आयुर्वेदिक पद्धति से चिकित्सा की गई।

हेमंत ऋतुचर्या पर विशेष सत्र

आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. जितेंद्र जैन ने शिविर में उपस्थित ग्रामीणों को हेमंत ऋतुचर्या के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हेमंत ऋतु भारत में शीत ऋतु का प्रथम चरण है, जो नवंबर से जनवरी तक मानी जाती है। इस समय वातावरण में शुष्कता और ठंडक बढ़ जाती है, लेकिन इसी मौसम में मानव शरीर की पाचन शक्ति सबसे अधिक प्रभावी होती है।
डॉ. जैन ने कहा कि इस मौसम में भोजन का सही चयन और संतुलित दिनचर्या अपनाकर रोगों को आसानी से दूर रखा जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, हेमंत ऋतु में ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जो शरीर को ऊर्जा, गर्माहट और पोषक तत्व प्रदान करें।

हेमंत ऋतुचर्या के प्रमुख सुझाव

  1. स्निग्ध और पौष्टिक आहार
    इस ऋतु में खट्टे, मीठे और नमकीन स्वाद वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना लाभकारी होता है। दूध, घी, गुड़, नए चावल, उड़द की दाल, तिल और तिल्ली से बने व्यंजन शरीर को आवश्यक ऊर्जा देते हैं।

  2. गरम मसालों का प्रयोग
    काली मिर्च, दालचीनी, हल्दी और लौंग जैसे मसाले शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और सर्दी-जुकाम से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

  3. तेल मालिश और धूप सेकना
    शरीर को गर्म रखने के लिए तिल या सरसों के तेल से मालिश करना और सुबह–शाम धूप सेकना आवश्यक बताया गया। इससे वात दोष नियंत्रित रहता है और जोड़ों में दर्द नहीं होता।

  4. ऊनी वस्त्र और गर्म वातावरण
    ठंड से बचने के लिए गरम कपड़ों का उपयोग अनिवार्य बताया गया। डॉ. जैन ने कहा कि कफ और वात बढ़ने से बचने के लिए ठंडे स्थानों से दूरी रखना भी आवश्यक है।

डॉ. जैन के सत्र से ग्रामीणों ने मौसम के अनुरूप जीवनशैली अपनाने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की, जिससे अनेक मौसमी बीमारियों की रोकथाम संभव है।

मधुमेह नियंत्रण पर विस्तृत मार्गदर्शन

शिविर में डॉ. इरफान खान ने ग्रामीणों को मधुमेह से बचाव और नियंत्रण के उपाय बताए। उन्होंने कहा कि आज के समय में मधुमेह केवल शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से फैल रहा है।
उन्होंने बताया कि नियमित व्यायाम, संतुलित भोजन, समय पर भोजन, चीनी और अत्यधिक तली-भुनी चीजों से परहेज, और तनाव प्रबंधन से इस बीमारी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
डॉ. खान ने ग्रामीणों को सरल योगासन और प्राणायाम की जानकारी भी दी, जो मधुमेह रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं।

हैंड हाइजीन पर जागरूकता

नर्सिंग ऑफिसर मिथिलेश शर्मा ने लोगों को हैंड हाइजीन यानी हाथों की स्वच्छता के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने समझाया कि कई बीमारियाँ सिर्फ हाथ साफ न रखने के कारण फैलती हैं। खाना बनाने से पहले, भोजन करने से पहले, शौचालय उपयोग के बाद और खेत-खलिहान के कार्यों से लौटने पर हाथ साबुन से धोना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि हाथों की साफ-सफाई एक छोटी आदत है, लेकिन इससे बड़ी बीमारियों की रोकथाम संभव है।

शिविर के सफल आयोजन में सभी का सहयोग

शिविर का आयोजन ग्राम पिपलियाराघो के शासकीय माध्यमिक विद्यालय के परिसर में किया गया, जहाँ विद्यालय परिवार ने सक्रिय भूमिका निभाई।
कार्यक्रम में प्रधानाध्यापक अजय शर्मा, शिक्षिकाएँ वंदना शर्मा, संगीता सरिया, विद्यालय के छात्र–छात्राएं और बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। सभी ने शिविर में स्वेच्छा से सहयोग किया।

शिविर के संचालन और व्यवस्था में अब्दुल मुनाफ दवासाज का विशेष योगदान रहा। उन्होंने ग्रामीणों को शिविर की जानकारी देने, लोगों को जागरूक करने और व्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ग्रामीणों ने सराहा आयुर्वेदिक उपचार

शिविर में उपस्थित लोगों ने आयुष विभाग की इस पहल की प्रशंसा की और कहा कि ऐसे शिविरों से ग्रामीणों को बड़ा लाभ मिलता है। कई बुजुर्गों ने कहा कि दवाइयाँ और स्वास्थ्य जांच अक्सर शहर जाकर करवाना मुश्किल होता है, ऐसे में गाँव में ही शिविर लगने से सभी को सुविधा मिली है।

आयुर्वेद स्वास्थ्य की प्राचीन और सुरक्षित पद्धति

आयुर्वेद चिकित्सकों ने ग्रामीणों को यह भी समझाया कि आयुर्वेद किसी बीमारी को दबाता नहीं, बल्कि जड़ से ठीक करने की दिशा में काम करता है। प्राकृतिक तत्वों से बने उपचार शरीर को संतुलित रखते हैं और लंबे समय तक स्वास्थ्य प्रदान करते हैं।



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