10वीं शताब्दी की धरोहर ‘गौरी कामदा’ का सांस्कृतिक पुनर्जीवन: गोहर महल में दिखेगी स्टोन डस्ट कास्टिंग की अनूठी कला

 8 से 10 दिसंबर तक गोहर महल में हस्तशिल्प हैकेथॉन, नर्मदापुरम स्टार्टअप की ऐतिहासिक पहल आकर्षण का केंद्र


भोपाल : शनिवार, 6 दिसंबर 2025 
भारतीय शिल्प विरासत को नई दिशा देने की एक अनूठी पहल के तहत रफतांड रीजन स्टार्टअप नर्मदापुरम ने 10वीं शताब्दी की दुर्लभ मूर्ति ‘गौरी कामदा’ की स्टोन डस्ट कास्टिंग तैयार की है। यह सिर्फ एक प्रतिकृति नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक स्मृति को पुनर्जीवित करने का सांस्कृतिक अभियान है। 8 से 10 दिसंबर तक गोहर महल में होने वाले हस्तशिल्प हैकेथॉन में यह प्रविष्टि विशेष आकर्षण बनेगी।




ऐतिहासिक धरोहर का आधुनिक स्वरूप

बीजावाड़ा (जिला देवास) क्षेत्र में मिली मूल 10वीं शताब्दी की प्रतिमा से प्रेरित यह 15×6 इंच की कलाकृति प्राचीन मूर्तिकला शैली, सौंदर्य बोध और आध्यात्मिक भावनाओं को आज के समय से जोड़ती है।
यह कास्टिंग दिखाती है कि किस तरह भारतीय कलात्मक परंपरा आधुनिक तकनीकों के साथ नए रूप में जीवंत हो सकती है।


क्यों महत्वपूर्ण है यह पहल?

यह प्रयास सिर्फ संरक्षण भर नहीं, बल्कि कला को पुनर्जीवित करने और नई पीढ़ियों के लिए प्रासंगिक बनाने का बड़ा कदम है।
स्टार्टअप का उद्देश्य—

  • भारत की मूर्तिकला विरासत को आधुनिक डिज़ाइन स्पेस से जोड़ना

  • प्राचीन कला रूपों को सांस्कृतिक और संग्रहणीय मूल्य देना

  • युवाओं में भारतीय इतिहास और शिल्प परंपरा के प्रति नई चेतना पैदा करना

गौरी कामदा की पुनर्रचना ऐसी दृश्य भाषा को फिर जगा रही है जो समय के साथ विलुप्त-सी हो गई थी। यह कृति धार्मिक आस्था, शोध और शिल्प कौशल की अनूठी मिसाल है।


हस्तशिल्प एवं हाथकरघा संचालनालय की नवाचार यात्रा

स्टार्टअप प्रतियोगिता के माध्यम से संचालनालय ने भारतीय हस्तशिल्प, सांस्कृतिक नवाचार और विरासत संरक्षण को एक मंच पर लाकर नए मॉडल प्रस्तुत किए हैं। यह आयोजन रचनात्मक उद्योगों के लिए प्रेरणादायक उदाहरण बन रहा है।


ब्रास म्यूज़िशियन सेट: ग्वालियर घराने की संगीत विरासत का प्रतीक

राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह 8–14 नवंबर 2025 के अंतर्गत, कोलार डायनेमिक्स स्टार्टअप ने मध्यप्रदेश के कारीगरों के साथ मिलकर एक विशेष ब्रास म्यूज़िशियन सेट तैयार किया है।

  • चार पीतल की मूर्तियाँ

  • चौड़ाई 20 इंच, लंबाई 6 इंच

  • शहनाई और तबला वादन करते दो पुरुष और दो महिला कलाकार

  • ग्वालियर घराने की समृद्ध सांगीतिक परंपरा का जीवंत चित्रण

यह कृति भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक कला प्रशंसकों तक पहुँचाने का शानदार प्रयास है।


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